साहित्य जगत में तुलसी रमण एक सुपरिचित नाम है। हिमाचल प्रदेश से जन्म और कर्म का संबंध रखने वाले कवि, लेखक और संपादक के रूप में चर्चित तुलसी रमण अपने आस-पास की चीज़ों पर जितनी बारीक् निगाह रखते हैं, वैसी ही मूलभूत मुद्दों की समझ भी रखते हैं। स्थानिक संस्कृति की समझ के साथ भारतीय और विश्व साहित्य से भी परिचय रखते हैं। अपनी समझ और अध्ययन के तालमेल के फलस्वरूप उनका रचनाकर्म शैली और विचार के स्तर पर उन्हें एक गंभीर साहित्यकार साबित करता है। कवि ही नहीं रमण एक अच्छे कहानीकार और उपन्यासकार भी हैं। उनका एक प्रकाशनाधीन कहानी संग्रह ‘गाची’ प्रकाशनाधीन है और जनसत्ता-चण्डीगढ़ में धारावाहिक प्रकाशित उनका उपन्यास ‘देओ-राज’ पहाड़ी पृष्ठ्भूमि की एक सामाजिक-सांस्कृतिक रचना है जो निकट भविष्य में पुस्तकाकार आएगी। तुलसी रमण पिछले 23 वर्षों से हिमाचल प्रदेश भाषा विभाग की पत्रिका “विपाशा” का संपादन भी कर रहे हैं, वे ही इसके आदि संपादक हैं। इस पत्रिका के अनेक विशेषांक भी प्रकाशित हुए हैं जिनसे हिन्दी साहित्य में पत्रिका की पहचान कायम हुई है। यह पत्रिका हिन्दी साहित्य जगत के लिए हिमाचल का सीधा गवाक्ष खोलती है। तुलसी रमण ने विपाशा के ज़रिए अनेक युवा रचनाकारों को आगे लाया है। वह युवा लेखकों की प्रतिभा के पारखी हैं । इनके साहित्यिक रिपोर्ताज़ भी पठनीय होते हैं। पिछले 20 वर्षों से साहित्य,मीडिया और कला विधाओं पर स्तंभ लेखन करते रहे हैं। रिपोर्ताज़, साक्षात्कार तथा साहित्यकारों पर लेखों का संग्रह तथा समकालीन कविता पर एक पुस्तक आगामी वर्ष प्रकाशित होने की स्थिति में हैं। तुलसी रमण की कुछ रचनाएं आपके समक्ष रखते हुए मुझे प्रसन्नता और आपकी प्रतिक्रिया की उम्मीद रखता हूं। -प्रकाश बादल

Friday, December 5, 2008

भेड़

बुज़ुर्गों का कहना है

जब भेड़ मूंडनी हो

उससे पूछा नहीं जाता


दो-चार हरी पत्तियाँ

रोटी का एक ग्रास

या चंद दाने दिखाकर

एक सछल, शरारती पुचकार के साथ,

करीब बुला लिया जाता है उसे

और वह निरीह

सहज चली आती है


बस

सुविधाजनक ढंग से

कैंची चलाकर

ऊन उतार लो उसकी

और फिर से

एक अर्से के लिये

ऊबड़-खाबड़ गहन निर्जन में

नंगा कर छोड़ दो

जहाँ रहते हैं

असंख्य भेड़िये और

भेड़िये के बच्चे

उसके ख़ून की ताक में


सिंहासन सजते हैं

भेड़ की ऊन से

राजतिलक भी होता है

भेड़ के खून से

पर निरीह भेड़ ठगी सी

बस ऊन होती है

या ख़ून।

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बढ़िया रचना प्रेषित कि है।आभार।
नॊट;--Word Verification हटाएं।

Manoj Kumar Soni said...

सचमुच himachal pradesh ki mehak hai.



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